संगीत से स्वास्थ्य की ओर
चक्र का महत्व - मानव शरीर में चक्र वे ऊर्जा के स्रोत हैं जिसके संतुलन से हमें अपनी वाइटल एनर्जी को विकसित करने और समग्र रुप से स्वास्थ्य शारीरिक और मानसिक सेहत पाने में मदद मिलती है। ये चक्र हमारे शरीर के अलग - अलग हिस्सों में स्थित है। इन्हीं सात चक्रों से संगीत के सातों स्वर सा, रे, ग, म, प, ध, और नी की उत्पति मानी गई है। हमारे शरीर में चक्रों के स्थान (१) मूलाधार चक्र - इस चक्र से संगीत का पहला स्वर सा की उत्पति मानी गई है। यह चक्र मलद्वार और जननांग के बीच होता है। यह एड्रेनल कॉर्टेक्स से जुड़ा होता है। डर से इस चक्र में असंतुलन पैदा होता है, इसका रंग लाल दिखाया गया है, इसका तत्व पृथ्वी है। (२) स्वाधिष्ठान चक्र - इस चक्र से संगीत का दूसरा स्वर रे उत्पति मानी गई है । कमर के पीछे की तिकोनी हड्डी में स्थित होता है। यह सुप्रारेनल ग्रंथियों से जुड़ा होता है।इसका रंग नारंगी है और इसका तत्व पानी माना जाता है। यह चक्र पाप के प्रभाव से बंद हो जाता है, इसकी ऊर्जा बनाए रखने के लिए माफ करना चाहिए। (३) मणिपुर चक्र - इस चक्र से संगीत का तीसरा स्वर ग की उत्पत्ति मानी गई है। यह चक्र नाभि में स्